ध्यानमूलं गुरुर्मूर्तिः पूजामूलं गुरुर्पदम् । मन्त्रमूलं गुरुर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरूर्कृपा ॥

Must watch video on Spiritual Awekening

There are no upcoming events at this time

साधना सिद्धि विज्ञान

Filter

शक्ति उपासना

शक्ति उपासना समग्र उपासना है, क्यूंकि इसमें सत्य, शिव और सुन्दर की अभिवक्ति है | सामान्य मानस ज्यादातर ‘सुंदरम’ तक ही सीमित रहता है| बहुत कम साधक इस का अतिक्रमण कर शिव तक पहुंच पाते हैं| परन्तु सत्य को जानने के लिए इन दायरों को भी पार करना पड़ता हैं| शक्ति की आराधना हरि, हर तथा विरंचादी सभी करते हैं| शिव ‘इ’ से सायुंज्य होने पर ही शक्तियुक्त हो पाते हैं, अन्यथा शिव ‘शव’ बन जाते हैं|

सामान्य मानव शक्ति से शारीरिक, मानसिक व आर्थिक स्थिति का अभिप्राय ही निकालता हैं | गुरु के माध्यम से ही शक्ति उपसना संभव हैं, गुरु के मार्गदर्शन से ही शक्ति साधना फलीभूत हो पाति हैं| ऐश्वर्य एवं पराक्रम स्वरुप प्रदान करने वाली यह शक्ति व्यवहारिक जीवन मे आपदाओं से मुक्ति, ज्ञान, बल तथा क्रियाशक्ति अदि उपलब्धियों से साधक को परम कृतार्थ कर देती हैं|

दीक्षा संस्कार

मैं दीक्षा प्रदान करती हूँ, मैं अपने सभी शिष्यों को शक्तिपात दीक्षा देती हूँ, मैं दीक्षा के माध्यम से अपने शिष्यों को दूसरा जन्म देती हूँ, द, सेकण्ड बर्थ, पहला जन्म वह होता है जब आप अपनी माता के गर्भ से जन्म लेते हैं माँ के पेट से तो सभी लोग जन्म लेते हैं और मलमूत्र में लिपटे रहते हैं। पर जब आपकी दीक्षा होती है तब आपका एक नया जन्म होता है दीक्षा का मतलब ही यह होता है कि ब्रह्म के साथ आपके तार जुड़ जाना द, सेकण्ड बर्थ में आपका दूसरा जन्म होता है।

यह ब्राह्मण बनने की क्रिया है यज्ञोपवीत धारण करने से आप ब्राह्मण नहीं बन सकते जब तक आपका ब्रह्म के साथ संबंध न बन जाए उनके साथ आपके तार न जुड़ जाएं जिसके तार एक बार ब्रह्म के साथ जुड़े फिर उसके ऊपर किसी प्रकार का अभिचार कर्म नहीं हो सकता दीक्षा के बाद चौरासी लाख योनियों में भी भटकने की जरूरत नहीं है जिसकी एक बार दीक्षा हो जाती हे वह मरने के बाद कभी भूत-प्रेत नहीं बनता है। शरीर छोडऩे के बाद भी वह पृथ्वी लोक का भेदन कर जाता है। इसलिए दीक्षा के बहुत सारे लाभ साधक को मिलते हैं।

Read More…

गुरु माँ डॉ. साधना

शिविर

शिविरों में अनुष्ठान का विशेष महत्व होता है | सद्गुरु द्वारा शिविरों का आयोजन सभी शिष्यों को एक साथ कुछ विशेष क्रिया एवं अनुष्ठान के लिए किया जाता है |कभी कभी विशेष दीक्षा के लिए भी शिविरों का आयोजन किया जाता है |

आगामी शिविर

अनुष्ठानम्‌

अनुष्ठान का तात्पर्य भारतीय ऋषि मुनियों द्वारा लम्बी शोध एवं प्रयोग परीक्षण द्वारा विस्तृत एवं सपरिवार पूजन है | सामान्य पूजन एवं अनुष्ठान में कुछ अंतर होता है | सामान्य पूजन में हम पंचोपचार एवं षोडशोपचार पूजन करते हैं लेकिन जब अनुष्ठान की बात करते हैं तो हमें ध्यान, विनियोग, आव्हान, मंडल, द्वारपाल, के साथ साथ देवशक्ति के सम्पूर्ण परिवार एवं सभी आवरण में स्थापित शक्तियों का पूजन करते हैं |

अनुष्ठान में अनुशासनबद्ध क्रियाकलापों के द्वारा अन्तरंग की सूक्ष्म शक्तियों को जाग्रत एवं व्यवस्थित किया जाता है | अनुष्ठान में संकल्प, आव्हान, विनियोग, एवं मंत्रों द्वारा देव शक्तियों का आव्हान एवं पूजा कर ऐसी ऊर्जा पैदा की जाती है जिससे मानव मात्र का कल्याण हो सके |

श्री बगलामुखी (पीताम्बरा माई) विश्व की रक्षा करने वाली हैं , साथ ही जीवन की जो रक्षा करती है , वही बगलामुखी हैं | स्तम्भन शक्ति के साथ ये त्रिशक्ति भी हैं | आभाव को दूर कर , शत्रु से अपने भक्त की हमेशा जो रक्षा करती हैं
बगलामुखी अनुष्ठान
कभी कभी अनुष्ठान सामूहिक संकल्प या कार्य के लिए किये जाते हैं | विशेष कार्यों के लिए विशेष अनुष्ठान किये जाते हैं | साधकों के लिए भौतिक उन्नति के साथ साथ आध्यात्मिक उन्नति के लिए अनुष्ठान का विशेष महत्व है |

गुरु माँ साधना जी द्वारा समय समय पर निखिलधाम में प्रति माह की 4 11 21 तारीख को एवं कुछ विशेष अवसरों पर साधकों की भौतिक, आर्थिक, आध्यात्मिक उन्नति के लिए अनुष्ठान करवाये जाते हैं |

MENU